आजकल धनसुख भाई बढ़ते जा रहे है

आजकल धनसुख भाई बढ़ते जा रहे है
मनसुख भाई कम होते जा रहे हैं।
शाँतिलाल जी कहीं दीखते नहीं   
माँगीलाल जी बढ़ते जा रहे है॥
देबीचंद का पता नहीं .
ज्ञानचंद और रायचंद बढ़ते जा रहे हैँ ॥           
यह बात जिसको समझ आयी उसको वंदन। 

जिसको नहीं आई उसको अभिनंदन ॥

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